बाजरा फसल में हरित बाली रोग के लक्षण और बचाव
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हरित बाली रोग (डाउनी मिलड्यू) में बालियों के स्थान पर हरी पत्तियाँ टेढ़ी-मेढ़ी बन जाती हैं, जिससे बाली झाड़ू जैसी दिखती है।
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इस रोग के कारण बाजरा के पौधे बौने रह जाते हैं और उनकी ग्रोथ प्रभावित होती है।
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रोग के प्रकोप से पौधों की उत्पादकता में कमी आती है, जिससे किसानों की आमदनी पर असर पड़ता है।
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बचाव के लिए कार्बेडाजिम 50% WP या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाएं।
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इस घोल का छिड़काव 10 दिन के अंतराल पर दो बार करने से हरित बाली रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है।
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ईयर हेड मिज कीट भी बाजरा और ज्वार की फसलों के लिए घातक होता है, यह कीट बौर, पत्तियों और तने पर काले धब्बे बनाता है।
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ईयर हेड मिज कीट के प्रकोप से पत्तियाँ और डंठल टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती हैं, जिससे पौधा कमजोर हो जाता है।
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कीटों से बचाव के लिए खेतों में नियमित रूप से निगरानी करें और जैविक या रासायनिक कीटनाशकों का समय पर छिड़काव करें
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